Thursday 29 October 2009

दूसरी तरफ़ से















लिखो तो चाँद कह देना .... पढ़ो तो  शाम  कह देना .... 
मुझे तुम दिल के किसी कोने में दबा अरमान कह देना .... 

कोई तितली जो लगे अच्छी ....तो तुम ऐसा कुछ करना .....
मुझे उस तितली के बदन का तुम श्रृंगार कह देना ...... 

कोई गलती जो हो जाए ....तो इल्ज़ाम ना  लेना .........
मुझे उन सारी बातों का.. तुम गुनहगार कह देना.... 

मौत का है क्या ... वो तो आएगी  एक दिन ..... 
बस उसके आने से पहले .....मुझे तुम जान कह देना .....