Thursday 29 October 2009

दूसरी तरफ़ से















लिखो तो चाँद कह देना .... पढ़ो तो  शाम  कह देना .... 
मुझे तुम दिल के किसी कोने में दबा अरमान कह देना .... 

कोई तितली जो लगे अच्छी ....तो तुम ऐसा कुछ करना .....
मुझे उस तितली के बदन का तुम श्रृंगार कह देना ...... 

कोई गलती जो हो जाए ....तो इल्ज़ाम ना  लेना .........
मुझे उन सारी बातों का.. तुम गुनहगार कह देना.... 

मौत का है क्या ... वो तो आएगी  एक दिन ..... 
बस उसके आने से पहले .....मुझे तुम जान कह देना .....

7 comments:

  1. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.....
    इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूं

    http://www.samwaadghar.blogspot.com/

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  2. कम लिखो अच्छा लिखो ।
    अच्छा लिखा ।
    शुभकामनाएं ।

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  3. jiyo raaja !
    khoob kahi........

    marne ke pahle jan kahdena..

    bahut umdaa !

    keep it up !

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  4. हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें तथा अपने सुन्दर
    विचारों से उत्साहवर्धन करें

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  5. very nice.. i like this one too..damm hai yyar teri shayari mein... :)

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